क्या आप सत्यान्वेषक भारतीय है, तो आप इस ब्लाग को हमेशा पढना अभिलषणीय होगा. क्या आप सुन्नित हृदय है, क्या आप का मनोभाव झटपट घायल होने वाले है तो इस ब्लाग को नहीँ पढना विधायक है।
चर्चांशः धर्म निरपेक्षता, लौकिकवाद, बीजेपी, कांग्रॆस, वाम पंथी दल
भारत मे सब से अधिक धर्म निरपेक्षक पार्टी क्या है. भारत मे सब से अधिक धर्म निरपेक्षक नेता कौन है .
यह प्रश्न को समाधान मिलना बहुत मुषकिल है।
हम सफेद कौवे को कहा से पकड कर ला सकते हँ ?
क्या आप इस नेता को पहचान कर सकते है ?
धर्म निरपेक्षक दिखने के लिये हर एक पार्टी कोशिश करता है, परनतु अंतर्लीन राग द्वेष को छिपना और लुकना आसान नहीं है।
धर्म निरपेक्षक सही ढंग मे रहने के लिये किसी विशेष वर्ग को रिझाने की जरूरत नहीं होता है। धर्म निरपेक्षक दिखाने के लिये जरूरत पडता है।
मेरे विनम्र राय मे, राज्य के , या राजनीतिक दल का धर्म निरपेक्षकता, यह होना है कि राज्य या दल कभी बी अपने पौर को उस के धर्म के बारे मं नहीं पूछना, नहीं सोचना।
वर्तमान नेताओं के मूहों से हम हमेशा सुनने वाला सर्व धर्म समानत्व एक अस्पष्ट अवधी के भावना होता है।
सर्वोच्च न्यायस्थान से दिया हुआ एक हाल का निर्णय, बारे मे हम सोच सकते हैं। भारतीय पौर , अपने को किसी धर्म से संबंधित नहीं -- प्रकट कर सकते हैं।
धर्म निरपेक्षकता और नास्तिकता, एक नहीँ है।
हम कांग्रेस को क्यों धर्म निरपेक्षक नहीं कह सकते है ?
कांग्रॆस मैनारिटीस् को लाड प्यार करना चाहता है। इस काम में उस को मैनारिटीयों पर प्रेम नहीँ है। सिऱ्फ वोटों के लिये लालच और लोलुपता। हम बीजेपी को क्यों क्यों धर्म निरपेक्षक नहीं कह सकते है ?
बिजॆपी अपने हिंदूत्वा को छिपा नही। उस का खुलेपन प्रशंसनीय है। सशेष.
004 राग भोपाली (भूप) मॆ श्रवण ध्यान व्यायम (लिजनिंग् ऎक्सरसैज)
चर्चांश- 004, हिंदूस्थानी संगीत, उत्तर भारतीय संगीत, शास्त्रीय संगीत, खमाज अंग, राग भोपाली
हिंदूस्थानी संगीत में राग भोपाली बहुत मधुर और लोकप्रिय राग है। परंपरा के अनुसार यह सायंकालीन राग है। संगीतज्ञ भोपाली को खमाज थाट जनित मानते हैं।
यह औडव औडव राग है। माने, चडाव (आरोही) में पांच स्वर और उतार (अवरोही) में पाँच स्वर उपयोग करते हैँ।
दाक्षिणिक भारतीय शैली कर्नाटक संगीतं में इस राग को मोहन रागं मानते हैँ। संगीतज्ञ इस मोहन राग को, २८ मेलकर्ता हरिकांभोजी के जन्य राग कहना उचित मानते हैं।
वादी स्वर गंधार को, उत्तर भारतीय शैली में अधिक प्राधान्यता दिलाया जाता है। कर्नाटक संगीत मे भी वादी स्वर अंतर गांधारम को प्राधान्यता रहता है, परन्तु सभी स्वरों को जीव स्वर मानते हैं।
निम्न लिखित स्वर लिपि पाश्चात्य नोटेशन और रोमन लिपि में है. कारण यह है किः आप चाहे तो इस नोटेशन को उपयोग करके आप आडियो कंप्यूटर मॆ जनरेट कर सकते है।
003 हिंदूस्थानी संगीत राग अल्हैय्या बिलावल तीन ताल में
चर्चांश: अल्हैय्या बिलावल, हिंदूस्थानी संगीत, बिलावल थाट, वाद्य संगीत
अल्हैय्या बिलावल बहुत सुंदर मधुर राग है। हिंदूस्थानी परंपरा में प्रभात कालीन राग होने कारण से, सायं समय होने वाले संगीत सभाओं में इसका गायन कम हो रहा है।
इल्हैय्या बिलावल बिलावल थाट (बिलावल अंग) के राग है। इस मॆं सभी स्वर शुध्ध रहते हैँ।
अवरोही: वक्र है। अवरोहि में कई मत हैं। एक मत के अनुसार:
तार स, ध, प, ग, रे, स, मंद्र ध, स।
पकड: पकड माने मुख्यांग। पकड एक तरह के ऐडॆंटिफइकेशन मार्क होता है। इस में भी कई मत है। एक मत के अनुसार
गरि गम, धप, मग मरेसा।
ऊपर दिया हुआ वीडीयो और आडियो के कंप्यूटर में अत्पत्ति करने के लिये उपयोग किया हुआ स्वर लिपि नीचे दे रहा हुँ। यह बंदिश मध्य लय मॆं है। वैबी राव गधे के (सृजना बडा शब्द है) काम है।