Tuesday, March 18, 2014

1 हमेशा बंगले

1 रहने के लिए बंगले


चर्चांश: स्वामी विवेकानंद, बंग्ले, षिल्लांग

कई लोगों का मानना ​​है कि स्वामी विवेकानंद महाराज पूरे भारत पैदल चला. भूक मे दिन बिताया. झोंपडों मे ठहरा.

यह विश्वास सत्य नहीं है. स्वामीजी जहा चला, वहा राजा, जमीन दार, बडा व्यापार वय्कती को ढूंडते थे और उनके बंगले मे रहते थे. झोंपडों मे रहना गरीबों का करमा है. स्वामीजी को वह करमा नहीं था।

३० वैसे बंगले के सूची नीचे दे रहा हूँ. संपूर्ण सूची आप निम्न लिखित लिंक् मे आप देख सक्ते है. http://vivekanandayb.blogspot.in/search/label/86



षिल्लांग

अठारह दिन. एप्रिल मे १९०१.

लबान मे सुनामगंज जमीन दार श्री चौधरीजी के घर मे उनके अतिथि के रुप मे ठहरे.

सर् हॆन्री काटन्, शिल्लांग् छीफ् कमीषनर् से मुलाखात किये. स्वामीजी साधारण लोग से नहीं मिलते थे.

रामकृष्म मिषन् षिल्लांग इस बिल्डिंग को हॆरिटेज सॆंटर रूप मे डॆवलप करना चाहते है. जरूर, यह भारत सर्कार, मेघालया सर्कार, कोई इंडस्ट्रियलिस्ट या बडा बिजिनेस् मान् के खर्च से होना चाहते.