Tuesday, May 6, 2014

002 क्या चोर मुसल या लोढे ले कर राजाओं के पास जाना?

002 क्या चोर मुसल या लोढे ले कर राजाओं के पास जाना? चर्चनीयांश: 002, चोर, राजा, मुसल, सजाएँ, मनुस्मृति
मनु स्मृति, आध्याय ८, श्लोक 8/190
स्कंधे नादाय मुसलम लगुडम
वा अपि खादिरम्
शक्तिम च उभयतस तीक्षणाम,
आयसम दंडमेव वा।

भाव या तात्पर्य
चोर मुसल, या लट्ठा, या तलवार, या दोनों पक्षों पर तेज रहने वाले कुछ चीज को लेकर राजा के पास जाना, और उनको सजा के लिए पूछना. A thief should, carrying a pezzle - or a log of wood - or a sword like instrument sharp on both sides, approach a king and ask him for punishment.



वैबीराव एक गधे के टिप्पणी



क्या विज़ञ पाठक महोदय, आप को यह पर्चा आटविक नहीँ दिख रहा है? चोर का अपराध, दुष्टता, दोष को देखने का, निर्णय करने का, अधिकार या काम न्यायस्थान को रहना चाहिए। दोषी अपने अपन को दोष या अपराधी मान कर, मुसल, लकडी, तलवार, चाकु वगैरा लेकर राजा का पास जाना समुचित नहीं होगा. चोर राजा के पास जा कर अपने अपराध को मान सकते, ये तो उचित होगा. परन्तु अडवान्स में मुसल, लठ्ठा, तलवार, चाकु वगैरा ले जाने का जरूरत नहीं होना।
*The guilt of the thief, the court has to establish, first of all. How can a thief prejudge himself?

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